मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

***** मौत *****

एक दिन तो आना ही है और .."वो".. आयेगी जरूर.
जब होगा सामना तो उतर जायेगा जिंदगी का सुरूर.
पछताना न पड़े की बांकी रह गयी है हसरत कोई .
"मानव" करो ऐसा कुछ की रहे मानवता का गुरूर.

***** मानवधर्म *****

मनुष्य की संतान तू मानवता का काम कर.
श्रेष्ठ जीवन मूल्यों से जगत का उत्थान कर. 
..............................मानवधर्म रक्षा परिषद्

सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

***** सम्मान *****

गर चाहते जो जिंदगी में इज्ज़त भरी
तो सर उठा के जीने की कोशिश तो करो
झुकने की मजबूरी भी आ जाये कभी
तो कटाने को शर अपना हाज़िर तो करो.

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

************ “भारतवर्ष हमारा है” *************



धवज लगायें ह्रदय में आपने.दिल से सब सम्मान करें
.
कर्म करें जीवन भर ऐसे ही,हम पर सब अभिमान करें.



भारत माँ के बेटे हैं हम,सब मिल माँ का श्रंगार करें
.
बेटे का हर फ़र्ज़ निभाएं ,प्रेम का यूं हम इज़हार करें.



नज़र झुके कभी ना अपनी,ना ही मन में संताप रहे
.
सदियाँ बदल जाएँ यहाँ पर,लेकिन अखंड प्रताप रहे .



गौरव मयी इतिहास बनाये,सदा रहें हम सत्य जहाँ
.
मर जाएँ हम मात्र भूमि पर,आना हो गर मौत यहाँ.



कहलायें हम राष्ट्र भक्त ही, रहें कहीं भी चाहे जहाँ
.
हो जाये ना नाम कलंकित, लज्जित ना हो भारत माँ



माँ को ये विश्वास दिलाएं,अमर सदा तेरी शान रहेगी
.
दुश्मन गर ना चेते "बाबा"गंगा सी रक्त धार बहेगी



सवा अरब सिर रखे धडों परसब कटने को है तैयार
.
मात्रभूमि पर खून बहा कर, दिखला देंगे अपना प्यार



धरा गूँज रही एक सुर में, गूँज रहा भीषण चीत्कार


अब नहीं माफ़ करेगी जनता, बंद करो यह भ्रस्टाचार.


माँ के चरणों में समर्पित..... सभी राष्ट्रभक्तों को समर्पित..


प्रत्येक भारतवासी (जिनके ह्रदय में माँ के प्रति प्रेम हो)

……………………………….उनको समर्पित.....बिगबास

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

*****"कर्मनिष्ठा"*****

कर्म हो कर्तव्य सदा, भाग्य ही अधिकार हो.
मांगना स्वभाव न हो, प्राप्ति ही स्वीकार हो.


मानवता हो धर्म यहाँ, मूल्य ही व्यव्हार हो.
स्वभाव हो सरल सदा,स्वधर्म से भी प्यार हो.


धर्म की स्थापना हो,अब पाप का संहार हो.
धर्म  रक्षा हेतु समर्पित,शीश और तलवार हो.


राष्ट्रभक्तिबसे ह्रदय में, राष्ट्रप्रेम उद्-गार  हो.
कर्मनिष्ठाही आचरण हो,कदमों में संसार हो.


कर्म हो इतना प्रबल, कि हारता करतार हो.
मांगना स्वभाव न हो, प्राप्ति ही स्वीकार हो.
                                                            ....बिगबास